एक बार फिर रियो 2016
सभी जानते है कि ओलंपिक खेल खत्म हो चुके है । पर नहीं, एक बार फिर खेल का वही मैदान और वही नियम कायदे होगे, बस खिलाडी नये होगे। 7 से 18 सितंबर तक रियो पैरालम्पिक गेमस है। जिसमे दिव्यांग खिलाडी हिस्सा लेगे। भारत के होनहार दिव्यांग खिलाडी इसके लिए पूरी तरह तैयार है । जिन्हें पूरा भरोसा है कि वह इन पैरालम्पिक खेलो मे अपना बेस्ट देगे, और ज्यादा से ज्यादा मेडल जीत कर लायेगे। पर सवाल यह है कि इन खेलो की क्यों कोई बात नही कर रहा। क्यों देश मे इनके लिए वो उत्साह, वो जुनून नही दिख रहा । क्यों इनके लिए तालिया कम है । ये दिव्यांग खिलाडी भले ही शारीरिक रूप से पूरी तरह सशक्त नही है । पर इनके शरीर ने ही इन्हें विशेष बना दिया है । जोश और जज्बे से भरपूर ये खिलाडी देश के लिए पदक हासिल करने को बेताब है । इनकी तमन्ना है कि यह देश की शान बने और सोने का मेडल जीत कर अपनी काबिलियत को देश और दुनिया के सामने साबित कर के दिखाये। इन दिव्यांग खिलाडीयो का प्रदर्शन भी दिव्य होगा। जरूरत है इनको वही समर्थन, वही तवज्जो देने की जो हम ओलंपिक खिलाडीयो को देते है । जैसे हम उनके खेल देखने के लिए बेताब रहते है । वैसे ही रियो पैरालम्पिक खेलो मे अपने देश के दिव्यांग खिलाड़ियों का उत्साह बढाना हम सबके लिए जरूरी है ।